Friday, December 13, 2024
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हमारे ही राष्ट्रपतिसे क्या छुपाना…!!!

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हमारे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 मार्च को जामनगर आ रहे हैं। वह जामनगर के नौसैनिक अड्डे वालसुरा में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। उनके आगमन के लिए स्थानीय अधिकारियों द्वारा जोरदार तैयारी की गई है। प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सुरक्षा के लिए बेरिकेड्स लगाए गए हैं। वहीं ऐसे इलाकों को पर्दों से ढक दिया गया है जो पहली नजर सिस्टम ऐसे क्षेत्रों को दिखाना नहीं चाहता है।

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यह अनिवार्य और स्वागत योग्य है कि प्रोटोकॉल के अनुसार राष्ट्रपति की सुरक्षा बढ़ाई जाए। लेकिन अपने देश की हकीकत को छुपाना कोई हल्के में लेने वाली बात नहीं है। जामनगर शहर में सात रस्ता सर्कल के पास के पिछड़े और गंदे इलाके को तंत्र ने कपड़े से ढक दिया है, जहां से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को गुजरना है, ताकि राष्ट्रपति की नजर ऐसे इलाकों पर न पड़े..! फिर सवाल उठता है कि क्या हमारे राष्ट्रपति को हमारे शहरों की हकीकत का पता नहीं है..? रामनाथ कोविंद एक साधारण परिवार से आते हैं। भले ही वे वर्तमान में आलीशान राष्ट्रपति भवन में बैठे हैं, लेकिन वे हमारे शहरों और गांवों और उनकी वास्तविक स्थिति से अपरिचित नहीं हैं। प्रोटोकॉल के नाम पर वास्तविकता को छिपाने के लिए स्थानीय निकायों द्वारा किए गए प्रयास थोड़े अनुचित लगते हैं।

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दो साल पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अहमदाबाद का दौरा किया था। उसी तरह झुग्गी-झोपड़ियों, पिछड़े इलाकों और सड़क के आसपास की गंदगी को उनकी नजरों से दूर रखने के लिए अहमदाबाद निगम द्वारा रातों-रात ऐसे इलाकों में दीवार खड़ी कर दी गई थी और सड़क को सजाया गया था। यह समझ में आता है, क्योंकि ट्रम्प एक विदेशी अतिथि थे। हो सकता है कि उन्हें भारतीय ज़मीनी हकीकतका पता न हो, उन्हें वास्तविकता का पता भी न हो।
अतिथि देवो भव: की हमारी परंपरा के अनुसार यह स्वाभाविक है कि हम अतिथि के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ते। लेकिन हमारे राष्ट्रपति हमारे है, वह हमारे देश के बारे में पूरी तरह से जानते है, वह वास्तविकता जानते है, समझते है तो फिर अपनों से हमें क्या छिपाना चाहिए? वास्तविकता को क्यों छुपाएं? यदि राष्ट्रपति उन क्षेत्रों पर एक नज़र डालें तो इससे क्या फर्क पड़ता है? शायद वे वास्तविकता को और करीब से समझेंगे।

कोविंद जी हमारे महामहिम हैं और जामनगर को उनकी यात्रा पर गर्व है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सभी निर्धारित प्रोटोकॉल और सुरक्षा व्यवस्था का पालन किया जाना चाहिए। लेकिन प्रोटोकॉल के नाम पर हकीकत पर से पर्दा हमें और उनको दोनोको खटकता है. आखिर राष्ट्रपति भी तो हमारे हैं….
खैर … जामनगर में राष्ट्रपति का स्वागत है।

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